पॉलिथीन को कहें 'न'

 

पॉलिथीन को कहें ''

रोजाना घर में पॉलिथीन का प्रयोग और इसका गलत ढंग से निपटारा पर्यावरण के साथ-साथ स्वयं आपके परिवार और पशुओं के लिए भी हानिकारक है। इसके दुष्प्रभावों से बचना है, तो पॉलिथीन को '' कहना सीखें।पॉलिथीन पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह आप भी जानते है, लेकिन उसके बावजूद भी लगातार पालिथीन का उपयोग किया जा रहा हैं। इस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ हद तक हम सब दोषी हैं। पॉलिथीन का उपयोग किस हद तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है और भूल सुधार के क्या रास्ते हो सकते हैं, आइए इस पर चर्चा करते हैं।

पॉलिथीन को कहें 'न'

अक्सर ये होती हैं गलतियां

1.पहली गलती

महिलाएं रात के बचे हुए भोजन को पॉलिथीन में पैक कर बाहर फेंक देती है। गाय को खाना देने की धार्मिक मान्यता का पालन करते हुए हम बड़ी आसानी से पॉलिथीन में खाना पैक कर गाय या दूसरे जानवरों के लिए रख देते हैं। लेकिन यही कर्म मवेशियों की मौत का मुख्य कारण बनता है। पॉलिथीन में बंद इस खाने को गाय व दूसरे मवेशी खाते हैं। खाने के साथ-साथ उनके पेट में पॉलीथीन की थैली भी चली जाती है, जो उनके गले में फंसकर उन्हें मौत के मुंह तक पहुंचा देती है। इसके अलावा पॉलिथीन के विषैले तत्व गाय के दूध में मिल जाते हैं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

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भूल सुधार

यदि आपके यहां रात का खाना या अन्य भोज्य सामग्री बचती है, तो उन्हें पॉलिथीन में पैक कर बाहर फेंकने की बजाए घर के बाहर मिट्टी के बर्तन में रख दें, ताकि गाय, कुत्ते व दूसरे मवेशी आसानी से खा सकें। इस तरह आपका पुण्यफल भी बचा रहेगा और इन प्राणियों को भी कोई नुकसान नहीं होगा। जब आप इन बर्तनों को धोएंगी, तो पानी के साथ मिलकर बचा हुआ खाना भी मिट्टी में मिल जाएगा। भूमि इस अपशिष्ट को अवशोषित कर लेगी। इस तरह के उपक्रम से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

2.दूसरी गलती

घरों की नालियां अक्सर जाम होती हैं। लेकिन क्या कभी आपने देखा है कि किस तरह के कचरे की वजह से नालियां चोक या जाम होती हैं? आप देखेंगी, तो पता चलेगा कि इस कचरे में सर्वाधिक हिस्सा घर में उपयोग होने वाली पॉलिथीन या प्लास्टिक का होता है। यही पॉलिथीन जल-मल निकासी के रास्तों को बंद कर देता है। नतीजा, नाली का गंदा पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बहता है और पानी की पाइप लाइन तक पहुंचकर पेयजल को दूषित कर देता है। इससे विभिन्न बीमारियां उत्पन्न होती हैं और हजारों लोग प्रभावित होते हैं।


भूल सुधार

 इससे बचने के लिए आपको सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि नालियों की समय-समय पर सफाई हो और उसमें पॉलिथीन व प्लास्टिक जैसा कुछ न जाए, यह सुनिश्चित करना होगा।

3.तीसरी गलती

अक्सर हम अनजाने में भोज्य सामग्रियों को रंगीन पॉलिथीन में ले लेते हैं और घर लाकर उस भोज्य सामग्री का सेवन भी कर लेते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह रंगीन पॉलिथीन, रंगहीन सामान्य पॉलिथीन से कहीं ज्यादा खतरनाक है। दरअसल, रंगीन पॉलिथीन थैलियों को सस्ता बनाने के लिए खाने वाले रंगों का इस्तेमाल न करते हुए, विभिन्न कार्बनिक और घातक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अनेक भारी और घातक धातुएं भी इनमें विद्यमान रहती हैं। इन रंगीन पॉलिथीन थैलियों में खाद्य वस्तुओं (ठोस व तरल) को रखे जाने पर इसमें पाए जाने वाले विषैले तत्व भोजन श्रृंखला में शामिल हो जाते हैं, जिससे जानलेवा बीमारियां उत्पन्न होती हैं।


कुछ और तथ्य

 पॉलिथीन के कई और भी दुष्प्रभाव हैं, जिन्हें हम रोजमर्रा की जीवनशैली में स्वयं पर्यावरण को सौंपते हैं। सबसे पहले तो यह जान लें कि पॉलिथीन को जलाना, उसे नष्ट करने का उपाय नहीं है। दरअसल पॉलिथीन, प्लास्टिक का अंतिम उत्पाद है और इसका पुनर्निर्माण नहीं किया जा सकता है अपितु यह बार-बार चक्रिकृत होता रहता है और इसका स्तर निरंतर दूषित होता रहता है। इसके अलावा पॉलिथीन का कचरा किसी खाली जमीन में फेंके जाने पर अपघटित नहीं होता है अपितु वह भूमि बंजर हो जाती है। पॉलिथीन को कचरे सहित कभी नहीं जलाना चाहिए। पॉलिथीन सहित कचरा जलाए जाने से निकली गैसें (ग्रीन हाउस प्रभाव) ओज़ोन परत को क्षति पहुंचाती हैं। यह गैसें श्वास रोगों जैसे-एलर्जी, अस्थमा आदि को आमंत्रण देती हैं।


 क्या करें

 सबसे पहले पॉलिथीन को नकार दें। 'हम सुधरेंगे, जग सुधरेगा' की मानसिकता धारण कर आप काफी परिवर्तन ला सकती हैं। कोई भी सामान लेने जाते समय घर से सामान रखने के लिए जूट के बैग या मोटे कागज़ से बने थैले साथ रखें। साथ ही खाद्य सामग्रियों को पॉलिथीन थैलियों खासकर रंगीन पॉलिथीन थैलियों में बिल्कुल भी न लें। पॉलिथीन का बहिष्कार करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।

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